Kalam Ka Jadugar Kise Kaha Jata Hai |
कलम का जादूगर किसे कहा जाता है – Kalam Ka Jadugar Kise Kaha Jata Hai
"कलम" जिसे आज की जनरेशन में हम "पेन" कहते है। आधुनिकता और कंप्यूटर-मोबाइल के इस ज़माने में अगर हम नोटिस करे तो कलम या पेन का उपयोग बहुत कम हो गया है। ऐसे में सोचिये जरा, अपनी कलम से भाषा की सहजता, सुन्दरता और जीवंतता लेखन की कला में माहिर थे की उन्हें कलम का जादूगर कहा जाने लगा। ऐसे में सवाल उठता है की कलम का जादूगर किसे कहा जाता है। Kalam Ka Jadugar Kise Kaha Jata Hai
सवाल- कलम का जादूगर किसे कहा जाता हैं ? Kalam Ka Jadugar Kise Kaha Jata Hai
उत्तर: रामवृक्ष बेनीपुरी को।
अब तक हमने जाना की कलम का जादूगर रामवृक्ष बेनीपुरी जी को कहा जाता है, आइये उनके जीवन से जुडी महत्वपूर्ण जानकारी जैसे जन्म-मृत्यु, भारत को उनका योगदान, जीवन परिचय, और उनकी प्रसिद्ध रचनाये जानते है :
रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म-मृत्यु कब और कहा हुआ:
रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म 23 दिसम्बर 1899 बेनीपुर नाम के गाँव, मुज़फ़्फ़रपुर-बिहार में हुआ। इन्होने अपनी शुरुआती पढ़ाई अपने गांव के विद्यालय से ही ली, और कॉलेज की पढ़ाई के मुजफ्फरपुर गए। साहित्य के क्षेत्र में इन्होने बहुत योगदान दिए। इनमें राट्रीयता की भावना कूट कूट कर भरी हुई थी साथ ही भारतीय स्वंत्रता संग्राम के दौरान इन्हे 8 साल जेल में बिताने पड़े। रामवृक्ष बेनीपुरी मृत्यु 9 सितम्बर, 1968 बिहार में हुई।
जीवन परिचय
रामवृक्ष बेनीपुरी अनेको कलाओ में माहिर साहित्य सेवक थे। इनकी भाषा-शैली बहुत ही नितान्त है। इनकी भाषा व्यावहारिक एवं शब्दो का चयन चमत्कारिक है। प्रसंग, भाव और विषय के अनुयप तद्भव, देशज, तत्सम, उर्दू, फारसी आदि शब्दों का प्रयोग सटीक रूप से उपयोग करने कला इनके लेखन में मिलती है। इसीलिए इन्हें 'शब्दाें का जादूगर' कहा गया है।
रामवृक्ष बेनीपुरी जीवन परिचय |
जब महात्मा गाँधी जैसे अनेक महान वक्तित्व देश की आज़ादी के लिए आंदोल कर रहे थे तब रामवृक्ष बेनीपुरी जी भी अपनी कॉलेज की पढ़ाई छोड़ कर आंदोलन में शामिल हो गए। इसके लिए इन्हे 8 साल तक जेल में भी रहना पड़ा। 1957 में बिहार की विधान सभा सदस्य के रूप में इन्हे चुना गया , राजनीती में आने के बावजूद इनके अंदर का लेखक निस्वार्थ और आशावादी बना रहा।
रामवृक्ष बेनीपुरी की प्रमुख कविताएं, संस्मरण, निबन्ध और रचनाएँ :
- पतितों के देश में -1930 (उपन्यास)
- आम्रपाली (उपन्यास)
- चिता के फूल -1930 (कहानी)
- माटी की मूरतें (कहानी)
- लाल तारा -1937 (निबन्ध)
- कैदी की पत्नी -1940 (निबन्ध)
- गेहूँ और गुलाब - 1948 (निबन्ध)
- मशाल (निबन्ध)
- वन्दे वाणी विनायाको (निबन्ध)
- जंजीरें और दीवारें (निबन्ध)
- सीता का मन (नाटक)
- संघमित्रा (नाटक)
- अमर ज्योति (नाटक)
- तथागत (नाटक)
- शकुंतला (नाटक)
- रामराज्य (नाटक)
- नेत्रदान (नाटक)
- गाँवों के देवता (नाटक)
- नया समाज (नाटक)
- विजेता (नाटक)
- बैजू मामा (नाटक)
- आम्रपाली (नाटक)
- उड़ते चलो, उड़ते चलो
- मील के पत्थर
- विद्यापति की पदावली (संपादन)
- बालक अरुण भारत युवक (संपादन)
- किसान मित्र (संपादन)
- कर्मवीर (संपादन)
- कैदी (संपादन)
- जनता (संपादन)
- हिमालय (संपादन)
- नयी धारा (संपादन)
- कार्ल मार्क्स (जीवनी)
- जयप्रकाश नारायण (जीवनी)
- महाराणा प्रताप सिंह (जीवनी)
निष्कर्ष
रामवृक्ष बेनीपुरी जी ने अपने गद्य-लेखन, शैलीकार, पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी, समाज-सेवी और हिंदी प्रेमी होने के रूप में अपने जीवन की रौशनी से दुनिया को प्रकाशित किया। अफ़सोस उनके रहते उनकी रचनाओं का उल्लेख ज्यादा नहीं हुआ, हो सकता है ये उनके राजनीती में आने की वजह से हुआ हो।
लेकिन आज जब हम उनके लेखन को पढ़ते और सुनते है जो फिर से उस ज़माने की सैर हो जाती है। राष्ट्र-निर्माण, समाज को संगठित करने और मानवता के जयगान को लक्ष्य बनाकर बेनीपुरी जी ने अमूल्य योगदान भारत को दिया। वे आज भी युवा पीढ़ी के लिए भी प्रेरणा-स्रोत बने हुए है।
पोस्ट को यही समाप्त करते हुए हम आपसे अलविदा लेते है, और उम्मीद करते है Kalam ka jadugar kise kaha jata hai के इस पोस्ट से आपको काफी कुछ सीखने और जानने को मिला होगा। कोई गलती या सुझाव होने पर कमेंट बॉक्स में जरूर बताये।
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