घर के माहौल के कारण पढ़ नहीं पाते? |
GHAR ke MAHAUL me PADH nahi pate/घर के माहौल की वजह से हम पढ़ नहीं पाते है
मेरे ही मित्र इस Lockdown के दौरान मुझसे ये बात साझा की और कहा वह जिस परिवार में हैं, वहां पर सब अस्त-व्यस्त पड़ा रहता है। उथल-पुथल मची रहती है, शोरगुल लड़ाई झगड़ा यह सब हर रोज की आम बात है। पर मैं पढ़ना चाहता हूं और एंट्रेंस एग्जाम की तयारी करना चाहता हूँ। यदि राहुल पढ़ने बैठता है तो घर पर माहौल ऐसा है की बार-बार डिस्टर्ब हो जाता है। आखिर में उसने चिंता जताते हुए कहा की पढाई में मन कैसे लगाऊं।
मामला पढ़ाई का हो या किसी और काम का,एक चीज को केंद्रीयता (Priority) देनी ही पड़ती है। केंद्रीयता में सबसे पहली चीज़ जो सबसे ऊंचा महत्व जो की आपके लिए पढ़ाई है, अगर वह तुम्हारी नजरों में सबसे कीमती चीज है तो फिर उसके लिए कुछ भी कुर्बान किया जा सकता है, कुछ भी छोड़ा जा सकता है। अपने आप को साफ बता दो कि तुम्हारी कोई जिम्मेदारी नहीं है ऐसे में।
Tu has tu muskura |
उपाय/SOLUTION
यार देखो सच बात यही है बहार तो ऐसी बहुत सी दिक्कते हैं जिनपर हमारा कंट्रोल नही लेकिन एक हम ही जिसपर हमारा पूरा कंट्रोल है इसिलये दुसरो को न सही खुद को तो संभाल ही सकते है।
जिस घर में हम रह रहे है उसी की जिम्मेदारी से मुँह मोड़ ले तो स्वाभाविक है शोरगुल और ज्यादा बढ़ेगा। पारिवारिक होने के नाते मैं आपकी दिक्कत समझता हूँ ऐसे में शायद आप पूरी तरीके से उस माहौल से उस समय पर दूर ना हो पाए तो फिर दूसरा उपाय यही है की जितना ज्यादा बाहर शोरगुल बड़े, उतना ज्यादा आप अपने भीतर याद करने लग जाओ कि आपको क्या करना है। बढ़ता हुआ शोरगुल तुम्हारा सहायक बन जाएगा और वह आपको और ज्यादा याद दिलाता जाएगा कि बाहर जो चल रहा है आपको ऐसे माहौल में आपको आगे और नहीं रहना है।
Future में इस माहौल में नहीं रहना है अगर इस बात को आपने पुरे मन से मान और थान लिया है तो यकीन मानिये आप इस शोरगुल का हिस्सा अभी भी नहीं हो सकते। जब भी आपको लगे कि अब कोई मौका तैयार हो रहा है जिसमें तनाव बढ़ने वाला है, शोरगुल, लड़ाई-झगड़ा होने वाला है तब थोड़े समय के लिए आप उससे खुद ही दूर हो जाओ।
लगा लो कोई बहाना, लगा लो कान में मोबाइल झूठा ही सही। ऐसा तो हम अक्सर करते ही है। फिर भी अगर दूर ना हो पाओ और लगे की फस ही गए, क्युकि आसपास ही सब यही चल रहा है तो बाहर जितनी ऊंची आवाज़ हो, उससे कहीं ज्यादा ऊँची आवाज आपके अंदर से उतनी चाहिए। बाहर की गंदगी आपको और ज्यादा मजबूती से एहसास दिला दे कि इस माहौल से निकलना है।
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यह शोरगुल ही है जिससे हटना है आपको तो बस पढ़ाई करिये। आप पढ़ाई कर ही इसीलिए रहे हैं ताकि जिंदगी भर ऐसे माहौल में ना रहना पड़े। सिर्फ तभी ये समस्याएं आपकी बाधा बनने की जगह आपकी सहयोगी बन जाएगी। इतना महत्व किसी और चीज को मत दो कि वह आपके लिए समस्या बन जाए। जब आपके सामने पहले से एक केंद्रीय समस्या खड़ी हुई है तो बस इसे ही पकड़ो और आगे बढ़ो।
आपकी जीवन की जो अवस्था है अभी, पढ़ न पाने की समस्या ही आपकी केंद्रीय समस्या होनी चाहिए। पूरे तरीके से समर्पित हो जाओ ।
एक बड़ी समस्या पकड़ लेने का लाभ ही यह होता है, कि दर्जनों जो छोटी-छोटी समस्याओ के लिए आपके पास समय ही नहीं बचता।
वैसे ही जैसे आप जंगल मे है और आपके सामने शेर खड़ा हो तब क्या आपको ध्यान आएगा कि हाथ पर बैठा हुआ मच्छर काट रहा है। हर वो सफल इंसान जिन्हे आप आइडल मानते है या फिर उनकी तरह बनना चाहते हैं, सभी के पास कोई न कोई समस्या थी जिन्हे झेल कर पीछे छोड़ कर वप आगे बढ़ गए।
सोचिये जिंदगी में अगर कोई समस्या/Problem ही न हो तो उसे मरा की कहेंगे न। समस्या से पीछा तभी छूटेगा जब हम मर जाएंगे। लेकिन अगर जिंदगी जीनी है तो समस्याओं के साथ आगे बढ़ना सीखना पड़ेगा। आप चाहे तो कुछ देर के लिए आँख बंद करे और अपने शरीर के किसी भी हिस्से पर ध्यान केंद्रित या फोकस करे, तो आपको कुछ एहसास या हलचल जरूर होगी उस हिस्से पर। ऐसे में अगर आपका ध्यान ही घर की उलझनों और शोरगुल में केंद्रित है तो आप शोरगुल करने में माहिर हो रहे हो और कुछ नहीं।
प्रेरणा / Motivation
हर इंसान में एक जैसा ही होता है फिर चाहे वो नदी पार करके पढ़ने जाने वाले APJ Abdul kalam हो, रात को दिया जला कर पढ़ने वाले Dr. BR Ambedkar हो या आप हो. हम सब को अलग बनाती है हमारी इच्छाशक्ति।
दुनिया में कितने गम है |
मुझे उम्मीद है Ghar ke mahaul me padh nahi pate ki ये जानकारी पसंद आयी होगी और साथ ही हौसला बढ़ा होगा कुछ अच्छा करने का। आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए अलविदा लेता हूँ। आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो कमेंट बॉक्स में जरूर लिखे।